मामका विचाराः
मम मस्तिष्के जीवने च यत् प्रचलति तत् संस्कृतेन लिखितमत्र।
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बुधवार, 5 जुलाई 2017
गतरात्रावहमष्टभ्यो होराभ्योऽशयि
गतरात्रावहमष्टभ्यो होराभ्योऽशयि। अस्मात्कारणादद्याहमालस्यं नानुभवामि। तत्स्थाने मय्युत्साहशक्त्यवर्तिष्ट। प्रतिरात्रावहमष्टभ्यो होराभ्यः शयिषीय!
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