मामका विचाराः
मम मस्तिष्के जीवने च यत् प्रचलति तत् संस्कृतेन लिखितमत्र।
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शनिवार, 4 अगस्त 2018
अभिनवशुकसारिका-२
‘अभिनवशुकसारिका’ पठनं समाप्तम्। यत्प्रागेव मयोक्तं तद्वयतिरिक्तँव्वदितुङ्किमपि नास्ति।
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